मंगलवार, 19 जनवरी 2010

ऋषिकेश में ट्रेकिंग

पिछली बार मसूरी के पास धनौल्टी से सहस्त्रधारा तक की ट्रेकिंग का परिचय कराया था। इस बार भी ज्यादा दूर नहीं जायेंगे। क्योंकि एक तो खूब ठण्ड पड़ रही है, दूसरे इस ठण्ड में बाहर निकलने का मन भी नहीं करता। फिर हरिद्वार में कुम्भ का मेला भी तो चल रहा है। हरिद्वार जाओगे तो नीलकंठ भी चले जाना।
नीलकंठ जाने के तीन रास्ते हैं- जीप वाला, पैदल सड़क से और तीसरा है पैदल जंगल से। तीसरा रास्ता राजाजी राष्ट्रीय पार्क के घने जंगलों से होकर गुजरता है। इसका रास्ता बैराज से शुरू होता है। ऋषिकेश से बैराज तक ऑटो मिल जाते हैं। यहीं से ट्रेक शुरू कर सकते हैं। कुम्भ होने के बावजूद भी इस रास्ते पर भीड़ नहीं मिलेगी।
यहाँ ट्रेकिंग करने के लिए आपके साथ जितना बड़ा ग्रुप हो, उतना ही अच्छा रहेगा। क्योंकि राजाजी राष्ट्रीय पार्क हाथी और तेंदुओं के लिए प्रसिद्द है। कभी कभी भालू भी मिल सकते हैं।
वैसे मैं तो इस ट्रेक पर कभी गया नहीं हूँ, आप जाओगे तो आकर बताना।

मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

धनोल्टी - सहस्त्रधारा ट्रेकिंग

इन सर्दियों में धनोल्टी से सहस्त्रधारा की ट्रेकिंग सही रहेगी। ना तो बर्फ की दिक्कत, ना ही ज्यादा दूर जाने की परेशानी। धनोल्टी में तो बर्फ पड़ जाती है लेकिन नीचे सहस्त्रधारा में नहीं पड़ती। इसमे अपने साथ ज्यादा सामान लादने की भी जरुरत नहीं है।
धनोल्टी पहुँचने के लिए सबसे पहले मसूरी जाना पड़ेगा। मसूरी से धनोल्टी तक बसें आसानी से मिल जाती हैं। धनोल्टी में ठहरने के लिए पर्याप्त साधन हैं। अगले दिन चाहें तो बीस किलोमीटर दूर सहस्त्रधारा चले जाओ, नहीं तो चौदह किलोमीटर दूर भीत्सी गाँव में भी रुक सकते हैं।
सहस्त्रधारा तो खैर काफ़ी प्रसिद्ध जगह है। यहाँ से देहरादून केवल चौदह किलोमीटर दूर है। यह ट्रेक सघन जंगलों से भरा हुआ है। अगर जाओगे तो बहुत मजा आएगा। अगली बार जब भी देहरादून - मसूरी जाओ तो इस ट्रेक को भी देखना। वापस आकर मुझसे भी बताना अपने अनुभव।
अगले मंगलवार को भी किसी विंटर ट्रेकिंग के बारे में जानकारी देंगे। तब तक के लिए नमस्कार।

बुधवार, 9 दिसंबर 2009

ट्रेकिंग परिचय

जाड़े का मौसम चल रहा है। इस मौसम में हिमालय क्षेत्र में ट्रेकिंग बेहद मुश्किल है। ज्यादातर ट्रेकिंग क्षेत्रों में बर्फ का साम्राज्य रहता है। बर्फ में ट्रेकिंग करना मुश्किल और जोखिमपूर्ण भी है।
लेकिन हिमालय के निचले क्षेत्रों में इन दिनों ट्रेकिंग करना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है। हाँ, ठण्ड तो वहां भी काफ़ी रहती है।
आज के बाद इस ब्लॉग पर आपको ट्रेकिंग ही मिलेगी। कोशिश करूँगा कि जाड़ों में निचले हिमालय क्षेत्रों या भारत के अन्य क्षेत्रों में ट्रेकिंग का मौका व जानकारी दी जाए।
हर मंगलवार को सुबह छः बजे आपको कोई नई जानकारी मिलेगी।
अच्छा, अब अलविदा। मंगलवार को मिलेंगे।